Monday 27 June 2011

 धर्मं और कर्म में दो टूक अंतर क्या है ???


जो' भी' काम' हमारे' द्वारा' किया' जाता' है' वो हमारे' कर्म' कहलाते' है' , उन कर्मों' में' से वो कर्म' जो' हम' बिना स्वार्थ दूसरों के भले के लिए करते हैं वो हमारे धर्मं कहलाते है ......... इसलिए
कर्म ही मूल है ...........कर्म से ही ध्रर्म होता है ........अथवा कर्म ही सर्वोपरि है !!!!

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